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इक्विटी डेरिवेटिव ट्रेडिंग से जुड़े कई शब्द आसानी से समझ में नहीं आते हैं. ऑप्शन, कॉल और पुट भी ऐसे शब्दों में शामिल हैं. क्या है इनका मतलब और बाजार के संदर्भ में कैसे होता है इनका इस्तेमाल, यहां जानते हैं !
1. क्या हैं इक्विटी ऑप्शन?
दही आप खाते होंगे. इसके दाम दूध पर निर्भर करते हैं. दूध महंगा होगा तो दही के दाम भी बढ़ जाएंगे. ठीक इसी तरह इक्विटी ऑप्शन की वैल्यू निफ्टी और बैंक निफ्टी जैसे इंडेक्स पर निर्भर करती है. इन इंस्ट्रूमेंट के दो प्रकार होते हैं. कॉल और पुट ऑप्शन. आप इंडेक्स या किसी शेयर के कॉल और पुट में ट्रेड कर सकते हैं !
2. कॉल और पुट ऑप्शन क्या हैं? कॉल के खरीदार को एक तय तरीख और निश्चित मूल्य पर अंडरलाइंग (जिनकी कीमतों के घटने बढ़ने पर कॉल पर असर होगा) स्टॉक खरीदने का अधिकार मिलता है !
यह प्रीमियम चुकाकर खरीदे जाते हैं. यह कुल कीमत का एक हिस्सा होता है. इसी तरह पुट में खरीदार को शेयरों को बेचने का अधिकार मिलता है. कॉल बेचने वाले विक्रेता को खरीदार से प्रीमियम मिलता है. इसे कॉन्ट्रैक्ट के मूल्य पर खरीदार को शेयर देने होते हैं. इसी प्रकार पुट विक्रेता को शेयरों को बेचना होता है !
3. वास्तव में ये कैसे काम करते हैं?
मान लेते हैं कि 29 अप्रैल 2021 को ट्रेडर निफ्टी की
14300 की एक कॉल खरीदता है. इसकी मियाद 29 अप्रैल 2021 को खत्म होनी है. मान लीजिए कि कॉल के हर एक शेयर की कीमत 62 रुपये है !
एक कॉन्ट्रैक्ट में 75 शेयर होते हैं. मान लेते हैं कि 29 अप्रैल 2021 को निफ्टी 14500 रुपये पर बंद होता है. इस तरह 14300 की कॉल में 100 रुपये को 'इन द मनी' कहा जाएगा. इसमें कॉल बेचने वाला ट्रेडर को 100 रुपये के अनुपात में भुगतान करेगा. यानी ट्रेडर को 62 रुपये के हर शेयर पर 38 रुपये का फायदा होगा. यह कुल निवेश पर रिटर्न का 61 फीसदी है !
अब मान लेते हैं कि निफ्टी 14300 की बजाय 14200 पर बंद होता है. इस मामले में 14300 रुपये की कॉल में 100 रुपये को 'आउट ऑफ द मनी' कहेंगे. इसमें कॉल खरीदने वाला बिक्री करने वाले के हाथ पूरे के पूरे प्रीमियम (62 रुपये) की रकम गंवा देगा !
यही बात पुट के लिए भी लागू होती है. बस अंतर यह है कि इसमें निफ्टी के गिरने पर खरीदार को फायदा होगा. वहीं, निफ्टी के बढ़ने पर विक्रेता प्रीमियम को रख लेगा !
4. फ्यूचर से यह कैसे अलग है?
उहादरण में आपने देखा कि खरीदार का नुकसान दिए गए प्रीमियम तक सीमित होता है. लेकिन, कॉल और पुट के विक्रेता का नुकसान असीमित हो सकता है. व्यावहारिक रूप से कॉल और पुट के खरीदार को असीमित फायदा हो सकता है. फ्यूचर के मामले में खरीदार या विक्रेता के नफे-नुकसान की सीमा नहीं होती है !
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